सोमवार, 3 जनवरी 2011

क्या हाल है दिल का....

दिल का क्या हाल है कह नहीं सकता
मेरा क्यों बुरा हांल है कह नहीं सकता
तुम समझो मुझे भले ही दीवाना
पर मै खुद को दीवाना कह नहीं सकता
क्यों खामोश है नज़र ये मेरी
पास महबूब है फिर भी देख क्यों नहीं सकता
नज़रों का ये धोखा ही सही, क्या पता
पर मै तो दिल को दोखा दे नहीं सकता
तुम पास होकर भी क्यों इतने दूर हो
दूरी का एहसास क्या तुम्हें हो नहीं सकता।

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