रविवार, 9 अगस्त 2009

पीएचडी, न बाबा न!

अगर आप जीवाजी विश्वविद्यालय से पीएचडी करने का मन बना रहे हैं तो सावधान हो जाएं। अब आपको पहले के मुकाबले पांच गुना तक जेब ढीली करनी पड़ सकती है। जीवाजी विवि ने पीएचडी की फीस में पांच गुना तक बढ़ोतरी की है। ऎसे में यहां पर पूरे प्रदेश के मुकाबले पीएचडी सबसे महंगी हो गई है।
सूत्रों के मुताबिक, जीवाजी विवि ने जुलाई से अपना नया फीस कैलेंडर शुरू किया है। उसी के हिसाब से फीस ली जा रही है। नए कैलेंडर में कुछ विभागों और पाठयक्रमों की फीस बढ़ाई गई है। उन्हीं पाठयक्रमों में पीएचडी भी शामिल है। अभी तक विश्वविद्यालय में पीएचडी की फीस दस हजार रूपए के करीब हुआ करती थी, लेकिन अब उसे बढ़ाकर पचास हजार रूपए कर दिया गया है। कुल मिलाकर पीएचडी करना आम शोधकर्ता की जेब से काफी दूर होती नजर आ रही है। हालांकि विश्वविद्यालय का यह फैसला शिक्षाविदों को रास नहीं आ रहा है। वह इसे आम छात्र से पीएचडी दूर करने की साजिश करार दे रहे हैं।
मालूम नहीं, फीस बढ़ी
विश्वविद्यालय में फीस बढ़ा दी गई है और मजे की बात यह है कि कुलसचिव इस बात से पूरी तरह अंजान हैं। पत्रिका ने कुलसचिव पीएन जोशी से जब इस बारे में बात करनी चाही तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। हालांकि उन्होंने एक दो दिन में जानकारी कर बताने का आश्वासन दिया है।
प्रदेश में सबसे महंगी पीएचडी
अगर पूरे प्रदेश की बात करें तो जीवाजी विश्वविद्यालय पीएचडी कराने के मामले में सबसे महंगा हो गया है। प्रदेश के पांचों सरकारी विश्वविद्यालयों के मुकाबले जीवाजी विश्वविद्यालय की फीस सबसे ज्यादा है। दूसरे विश्वविद्यालय 15 से 20 हजार रूपए बतौर फीस वसूल करते हैं, जबकि जीवाजी विश्वविद्यालय ने फीस को कई गुना बढ़ा दिया है।
पीएचडी की फीस बढ़ाई गई है। बढ़ी हुई फीस जुलाई से प्रभावी हो गई है, इसे छात्रों से जमा कराया जा रहा है।
-आईके मंसूरी, डिप्टी रजिस्ट्रार
जीवाजी विश्वविद्यालय
यह आम छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ है। इतनी फीस दे पाना आम छात्र के बस की बात नहीं है, क्योंकि पैसे वाले पीएचडी नहीं करते हैं। पीएचडी आम छात्र ही करता है। ऎसे में विवि का यह निर्णय पूरी तरह से गलत है।
-डॉ। अन्नपूर्णा भदौरिया
शिक्षाविद्, ग्वालियर

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