शुक्रवार, 29 मई 2009

वादा निभाना तो राहुल से सीखिए

नेताओं को हमेशा से वादा कर भूल जाने के लिए जाना जाता है। लेकिन राजनीति में अगर किसी को वादा निभाना सीखना है तो राहुल गांधी से बेहतर विकल्प उसके दूसरा नहीं हो सकता है। दरअसल, राहुल गांधी ने जिन लोकसभा इलाकों में मंत्री देने का वायदा किया था, वह उन्होंने मंत्रीमंडल के विस्तार में पूरा कर दिखाया। चाहे उत्तर प्रदेश से प्रदीप जैन, जितिन प्रसाद हों या फिर मध्यप्रदेश से अरुण यादव और राजस्थान से सचिन पायलट। उन्होंने जिनसे भी वायदा किया पूरा कर दिखाया। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी में दोबारा से जान फूंकने के लिए राहुल गांधी ने झांसी से आगाज किया था। बुंदेलखंड के हालातों से रूबरू हुए थे। उस दौरान जो उत्साह पार्टी कार्यकर्ताओं में आया, उसने राहुल गांधी को खुद एक ताकत दे दी। बस फिर क्या था, राहुल ने थाम ली उत्तर प्रदेश की कमान। उसी कमान का असर दिखाई दिया लोकसभा चुनावों के परिणामों में। जब ८० में से पार्टी २१ सीटें जीतने में कामयाब हुई। सबसे खास बात यह है कि लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कुछ संसदीय क्षेत्रों में राहुल गांधी ने वायदा किया था कि अगर उनके उम्मीदवार को जिताया तो वह उसे मंत्री बनाकर क्षेत्र के विकास की जिम्मेदारी सौंपेंगे। कुछ सीटों पर न सही, लेकिन कुछ सीटों ने राहुल की इच्छा को पूरा किया और उनके उम्मीदवार को जिताकर भेज दिया। जीतने वालों में उत्तर प्रदेश से प्रदीप जैन और जतिन प्रसाद तो मध्यप्रदेश से अरुण यादव और राजस्थान से सचिन पायलट कद्दावर नेताओं को धूल चटाकर लोकसभा पहुंच गए। जीतने के बाद चारों को ही मंत्री बनने की कोई आस नहीं थी। यह लोग खुद सांसद बनकर खुश थे। लेकिन राहुल तो राहुल हैं तीनों को राज्यमंत्री बनाकर उन्होंने अपना वायदा पूरा कर दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने उन लोगों को भी सीख दे जो वादा कर भूल जाते हैं। लेकिन अब यह जिम्मेदारी इन तीनों मंत्रियों पर भी है कि वह भी इस बात का ध्यान रखें कि वादा किया है तो निभाना पड़ेगा। आमीन ......................................

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